फ़्रेडरिक नीत्शे के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : आसित आदित्य
हमेशा की तरह आज भी लोगों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है—ग़ुलाम और आज़ाद। वह इंसान जिसके दिन का दो-तिहाई भाग उसका अपना नहीं है वह गुलाम है, चाहे वह राजनेता हो, व्यवसायी हो, अधिकारी हो या कोई विद्वान हो।
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कभी-कभी लोग सच इसलिए नहीं सुनना चाहते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते हैं कि उनका भ्रम चकनाचूर हो जाए।
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हम जितना ऊँचा उड़ेंगे, उतना ही उन लोगों को छोटे नज़र आएँगे जो उड़ नहीं सकते।
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जो कोई भी दानव से लड़ता है उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लड़ाई की प्रक्रिया में कहीं स्वयं वह दानव न बन जाए, क्योंकि जब आप किसी खाई को देर तक टकटकी लगाए देखते हैं तो वह खाई भी आपको घूरना आरंभ कर देती है।
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वह जो हमारी जान नहीं ले लेता, हमें और मज़बूत बनाता है।
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मैं इसलिए उदास नहीं हूँ कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए उदास हूँ; क्योंकि अब आगे से मैं तुम्हारा भरोसा नहीं कर पाऊँगा।
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वह प्रेम का अभाव नहीं है जो शादीशुदा ज़िंदगी को अप्रसन्न बनाता है, बल्कि वह मित्रता का अभाव है।
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तुम्हारा अपना रास्ता है, मेरा अपना और जहाँ तक सही और एकमात्र रास्ते का सवाल है तो ऐसे किसी रास्ते का अस्तित्व नहीं है।
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तुम्हारा अंतःकरण क्या कहता है तुमसे?―”तुम्हें वह होना चाहिए जो तुम हो।”
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आत्महत्या का विचार एक ख़ूबसूरत सांत्वना है जिसके सहारे हम अनेक स्याह रातें गुज़ार लेते हैं।
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जो साँप अपना केंचुल न छोड़ सके उसे मरना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार वे मस्तिष्क जिन्हें उनकी राय बदलने से रोका जाता है; मस्तिष्क नहीं रह जाते।
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इस दुनिया में ऐसी कोई ख़ूबसूरत सतह नहीं है जिसकी भयानक गहराई न हो।
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फ़्रेडरिक नीत्शे (1844-1900) संसारप्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक हैं। उनके यहाँ प्रस्तुत उद्धरण अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए goalcast.com से चुने गए हैं। आसित आदित्य हिंदी की नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और अनुवादक हैं। ‘सदानीरा’ पर उपलब्ध कुछ और संसारप्रसिद्ध साहित्यकारों-विचारकों के उद्धरण यहाँ पढ़ें :
वी. एस. नायपॉल │ हुआन रामोन हिमेनेज़ │ एरिक फ्राम │ हरमन हेस │ ई. ई.कमिंग्स │ नोम चोम्स्की│ फ़्रांत्स काफ़्का │ एलियास कैनेटी │ रवींद्रनाथ टैगोर │ फ़्योदोर दोस्तोयेवस्की │ एडवर्ड मुंच │ ख़लील जिब्रान │ गैब्रियल गार्सिया मार्केज़ │ विलियम फॉकनर │ ग्राहम ग्रीन │ जे. एम. कोएट्ज़ी │ एइ वेइवेइ │ होर्हे लुई बोर्हेस │ मिलान कुंदेरा │जौन एलिया │ प्रेमचंद │ निकोलाई गोगोल
Aaj tak na jane kitna kuch likha gaya hai kyoki har insaan ka jivan or uske anubhav hi uske shabdo mai hote hai
Kabhi padhne wale ke liye wo mahaj shabd hai
Or kabhi kisi ka pura jivan hi Un shabdo maI hai
Good thoughts always work just like heeling
Thanks for your beautiful comment. 💜