शुलामिथ फ़ायरस्टोन के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा
प्यार बहुत सरल घटना है—यह असमान शक्ति-संतुलन के चलते जटिल, विकृत या बाधित हो जाता है।
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यदि स्त्रियों के साथ भेदभाव केवल सतही शारीरिक विशेषताओं के कारण किया जाता है तो वास्तव में पुरुष जैसे हैं, वे उससे कहीं अधिक विशिष्ट और अचल दिखाई देते हैं।
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उसने उस स्त्री को अंदर इसलिए नहीं आने दिया, क्योंकि वह सचमुच में उससे प्यार करता था; बल्कि इसलिए क्योंकि उसने उसकी पूर्वकल्पित धारणाओं के अनुरूप स्वाँग किया था।
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पुरुष-संस्कृति पारस्परिकता के बिना स्त्रियों की भावनात्मक ताक़त पर पोषित होने वाली परजीवी संस्कृति थी और है।
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निष्पक्ष और उदार स्त्री का सम्मान तो किया जा सकता है, लेकिन शायद ही कोई कभी उससे प्यार करता हो।
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वह (स्त्री) ख़ुद से तब प्यार कर पाती है, जब कोई पुरुष उसे प्यार के क़ाबिल पाता है।
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पूजे जाने का अर्थ स्वतंत्र होना नहीं है।
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…वह (पुरुष) अपनी क़ब्र में छला हुआ महसूस करते हुए जाएगा, कभी यह नहीं समझ पाएगा कि एक स्त्री और दूसरी स्त्री के बीच बहुत अंतर नहीं है, और फ़र्क़ सिर्फ़ प्यार करने से पड़ता है।
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जब हम अपने वैश्विक दृष्टिकोण में चंद्रमा के अँधेरे पक्ष को शामिल कर लेंगे, केवल तभी हम सर्वव्यापी संस्कृति पर गंभीरता से बात कर सकते हैं।
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बच्चे को पालने का सबसे बेहतर तरीक़ा उसे छोड़ देना है!
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बंधनमुक्त स्त्रियों ने जान लिया था कि पुरुषों की ईमानदारी, उदारता और सौहार्द झूठ था।
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प्यार को कभी समझा नहीं गया है, चाहे इसे पूरी तरह से अनुभव किया गया हो और उस अनुभव को संप्रेषित किया गया हो।
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सभी पुरुष स्वार्थी, क्रूर और अविवेकी हैं—और मैं चाहती हूँ कि मुझे उनमें से कोई मिल जाए।
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मनोविश्लेषण में एक भी विचार गौण नहीं है, उन विचारों के नगण्य होने का दिखावा इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें बताया न जाए।
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नौ महीने की गर्भावस्था से गुज़रकर एक माँ महसूस करती है कि इतने दर्द और बेचैनी से पैदा हुआ वह बच्चा उसका है।
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मेरा यक़ीन करो—अगर जिन पत्नियों के पतियों के किसी से विवाहेतर संबंध थे, उन सबने उन्हें छोड़ दिया होता, तो हमारे इस देश में केवल तलाक़शुदा महिलाएँ होतीं।
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स्त्रियों के बारे में सभी झगड़ों के पीछे असली कारण पुरुष का ख़ुद के प्रति वचनबद्ध न हो पाना है।
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उत्पीड़ितों को सब लोगों को समझाने की ज़रूरत नहीं है। उन्हें बस यह जानना है कि वर्तमान प्रणाली उन्हें नष्ट कर रही है।
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मुझे बस अपने कथानकों के विफल होने का डर है।
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शुलामिथ फ़ायरस्टोन (1945-2012) कैनेडियन मूल की अमेरिकी स्त्रीवादी विचारक हैं। स्त्रीवाद की दूसरी लहर के दरमियान वह मार्क्सवादी स्त्रीवाद के एक प्रमुख हस्ताक्षर के रूप में पहचानी गईं। उनके यहाँ प्रस्तुत उद्धरण अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए goodreads.com से चुने गए हैं। सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं। उनके किए कुछ और संसारप्रसिद्ध लेखिकाओं के उद्धरण यहाँ पढ़ें :
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लाजवाब, प्रेरक और आधुनिक विचार।
बहुत प्रभावपूर्ण उद्धरण।
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